प्रशांत किशोर का लालू परिवार पर बड़ा हमला, बोले- 9वीं पास को चपरासी की भी नौकरी नहीं, कोई बन बैठा डिप्टी सीएम 

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Vivek Sharma
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प्रशांत किशोर का लालू परिवार पर बड़ा हमला, बोले- 9वीं पास को चपरासी की भी नौकरी नहीं, कोई बन बैठा डिप्टी सीएम 

Patna. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव अपनी शिक्षा को लेकर अक्सर विरोधी नेताओं के निशाने पर रहते हैं। कम शिक्षित तेजस्वी यादव पर विपक्षी नेता उन पर हमेशा तंज कसते रहते हैं। प्रसिद्ध चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने भी 9वीं फेल तेजस्वी बड़ा हमला बोला है। दरअसल बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे पीके इन दिनों जन सुराज पदयात्रा निकाल रहे हैं जिसमें बिहार के जन-जन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं। इस दौरान वे राज्य में सत्तारूढ़ नीतीश सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं।   वे कई बार सार्वजनिक मंच से कह चुक हैं कि बिहार में एक नए राजनीति उदय की जरूरत है। वे लगातार बिहार की मौजूद व्यवस्था पर बात कर रहे हैं। विशेष रूप से शिक्षा और रोजगार को लेकर लगातार वो लोगों तक अपनी बात पहुंचा रहे हैं.





पश्चिम चंपारण के धनौजी में परंपरागत भोजपुरी में बोले





पीके जब शुक्रवार को श्चिम चंपारण के धनौजी में पहुंचे तो उन्होंने परंपरागत भोजपुरी अंदाज में लोगों से संवाद किया। उन्होंने भोजपुरी में कहा- "हमार लईका के खाना के खियाई? हमार स्कूल में गांव के बनवाई? मान लीं कि लालू जी के लइका नौवां पास बा त उ बनता मुख्यमंत्री, राउर लइका नौवां पास रही त ओकरा चपरासियो के नोकरी मिली? जेकर बाबूजी मुख्यमंत्री बारन, विधायक बारन, मंत्री बारन उनकर लइका नौवां पास भी रही त नौकरी मिल जाई आउर हमनी के ऊ राजा बनके रही." उनका कहना था कि आपके 9वीं पास बच्चे को चपरासी की नौकरी भी नहीं मिलेगी, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो नौंवी पास है उन्हें उपमुख्य मंत्री और मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है।





नीतीश सरकार पर जमकर बरसे





जन सुराज यात्रा के माध्यम से पीके नीतीश सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्होंने सरकार के खिलाफ कई बड़े बयान दिए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा था कि लोग समझ रहे हैं कि हमें धकिया देंगे, हमने तो बड़े-बड़े लोगों के नाक में दम किया है। उन्होंने कहा कि 2014 में चुनाव हारने के बाद नीतीश कुमार ने दिल्ली आकर उनसे मदद मांगी।  2015 में उनको जिताने में पूरी ताकत लगा दी। 10 से 15 दिन पहले उन्होंने मुलाकात के लिए बुलाया और साथ काम करने का प्रस्ताव दिया लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया।  





 प्रशांत किशोर की जन सुराज पदयात्रा





चुनावी प्रबंधन में माहिर प्रशांत किशोर बिहार में अपनी राजनैतिक इस यात्रा के माध्यम से अपनी सियासी जमीन तैयार कर रहे हैं।  उनके बारे में कहा जाता है कि PK जिस राज्य में जिस राजनीतिक दल के पक्ष में कैंपेनिंग करेंगे, उस राज्य में उसी दल का मुख्यमंत्री बनेगा लेकिन वे स्वंय बिहार में पदयात्रा निकालने को मजबूर हैं। 





3500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करेंगे





जानकारी के अनुसार प्रशांत किशोर अगले डेढ़ साल में पदयात्रा के जरिए राज्य में 3500 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय करेंगे। प्रशांत किशोर का कहना है कि उनकी यह पदयात्रा बिहार के लोगों और वहां के बच्चों के बेहतर भविष्य और नए बिहार के निर्माण के लिए है। वे गांव-गांव में जाकर लोगों को जगाएंगे। उन्होंने कहा कि हम डॉक्टर के बेटे हैं। मेहनत से अपनी बुद्धि से दस साल काम किया है. ठेकेदारों से पैसे नहीं लिए और न ही दलाली की। केवल बिहार में बदलाव के लिए फीस ली है।





UNICEF से चुनावी रणनीतिकार और फिर जेडीयू उपाध्यक्ष तक, प्रशांत किशोर की 10 बड़ी बातें





राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले पीके ने अपने बेहतर चुनाव प्रबंधन से कई पार्टियों को सत्ता के शीर्ष तक पहुंचा चुके हैं। वे जेडी यू से जुड़ चुके हैं लेकिन नीतीश कुमार से विवाद के चलते स्वयं को अलग कर लिया। साल 2018 में उन्हें जेडीयू का उपाध्यक्ष बनाया गया था। प्रशांत किशोर ने 2015 में जेडीयू के लिए चुनावी रणनीति भी तैयार की थी। उपाध्यक्ष बनने के बाद प्रशांत किशोर ने अपना सियासी सफर भी शुरू किया था। तब नीतीश ने उन्हें बिहार का भविष्य बताया था लेकिन आज उनके नीतीश कुमार से तल्ख रिश्ते हैं।





UNICEF के लिए पीके ने किया काम





बतौर पॉलिटिकल स्ट्रैटजिस्ट करियर शुरू करने से पहले प्रशांत किशोर UNICEF में नौकरी करते थे और उन्हें ब्रांडिंग का जिम्मा मिला था। पीके करीब 8 साल यूनाइटेड नेशंस से जुड़े रहे। बहुत कम लोग जानते होंगे कि पीके अफ्रीका में यूएन के एक मिशन चीफ भी रह चुके हैं।





 2011 में बीजेपी से जुड़े





बीजेपी से प्रशांत किशोर का कनेक्शन 2014 से भी पहले से है। 2011 में गुजरात के सबसे बड़े आयोजनों में से एक 'वाइब्रैंट गुजरात' की रूपरेखा प्रशांत किशोर ने ही तैयार की थी। इसके बाद 2012 के गुजरात विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने बीजेपी का प्रचार संभाला था और नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री चुनकर आए।





2014 में बीजेपी को दिलाई भारी जीत





गुजरात चुनाव में मिली सफलता के बाद बीजेपी ने 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार की कमान भी प्रशांत किशोर को सौंपी। नतीजा, बीजेपी को पूर्ण बहुमत से जीत मिली। 2014 लोकसभा चुनाव में 'चाय पर चर्चा' और 'थ्री-डी नरेंद्र मोदी' का कॉन्सेप्ट भी प्रशांत किशोर ने ही तैयार किया था। इस चुनाव के बाद से ही पीके सुर्खियों में आए और बाकी दलों ने भी अपनी पार्टी के लिए बतौर चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को चुना। इसके बाद प्रशांत किशोर ने जेडीयू और कांग्रेस के लिए भी चुनावी रणनीतियां बनाईं।





2015 में बिहार में महागठबंधन के लिए बने रणनीतिकार





2015 बिहार विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर की टीम ने जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन के लिए चुनाव प्रचार संभाला। उन्होंने रणनीति तैयार की और चर्चित नारा भी दिया था-' बिहार में बिहार है, नीतीशै कुमार हैं' यह नारा काफी छाया रहा। इस चुनाव में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस के महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला।





 कांग्रेस को मिला था पीके का साथ लेकिन नहीं मिली जीत





2016 में प्रशांत किशोर ने पंजाब विधानसभा चुनाव में अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के लिए चुनावी रणनीति तैयार की और कांग्रेस को बड़ी जीत दिलवाई। 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस का चुनाव प्रचार संभाला लेकिन पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। कांग्रेस को सिर्फ 7 सीटें मिलीं थीं।





वाईएसआर कांग्रेस के चुनावी सलाहकार नियुक्त हुए





प्रशांत किशोर आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस के लिए चुनावी सलाहकार नियुक्त हुए। उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस के लिए इलेक्शन कैंपेन भी डिजाइन किए। वाईएसआर को बड़ी जीत हासिल हुई। 





 पीके की फर्म 





पीके ने सिटिजन फॉर अकाउंटबेल गवर्नेंस (सीएजी) नाम से पॉलिटकल स्ट्रैटजी फर्म बनाई थी जिसमें 200 प्रोफेशनल्स शामिल थे। बाद में इसका नाम बदलकर इंडियन पॉलिटिकल ऐक्शन कमिटी (आई-पीएसी) कर दिया गया।





फोर्ब्स मैगजीन में टॉप 20 लिस्ट में हुए शामिल





प्रशांत का नाम प्रतिष्ठित बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स में दुनिया के टॉप 20 पॉवरफुल लोगों की लिस्ट में शामिल था। पीके को इस लिस्ट में 16वां स्थान मिला था। इस लिस्ट में उनके साथ जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार भी शामिल थे।





इंजीनियरिंग की पढ़ाई की





प्रशांत किशोर का जन्म 1977 में हुआ था बिहार के रोहतास जिले से सासाराम के नजदीक स्थित गांव कोनार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता पेशे से डॉक्टर हैं और बाद में बक्सर शिफ्ट हो गए। बिहार में ही शुरुआती पढ़ाई के बाद प्रशांत ने हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद वे यूएन से जुड़े।





2018 से शुरू किया था राजनीतिक करियर





जेडीयू से उन्होंने अपना राजनीतिक करियर शुरू किया और 16 सितंबर 2018 को वह जेडीयू में नंबर दो की पोजिशन यानी उपाध्यक्ष चुने गए। तब नीतीश कुमार ने उन्हें बिहार का भविष्य बताया था। बाद में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।





कांग्रेस को लेकर दिया था बड़ा बयान





एक समय था जब पीके के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें तेज हो गईं थीं। उन्होंने सोनिया गांधी और अन्य बड़े नेताओं के साथ कई मुलाकात भी की। साथ ही 600 स्लाइड का प्रजेंटेशन भी दिया। इसमें नए कांग्रेस के स्वरूप से लेकर चुनावों में जीत दिलाने की रणनीति तक शामिल थी लेकिन बाद में कांग्रेस के लिए काम करने के लिए इंकार कर दिया। कुछ समय पहले उन्होंने वैशाली में जन सुराज यात्रा में कहा कि कांग्रेस ने मेरा ट्रैक रिकॉर्ड खराब कर दिया। अब जीवन में कभी भी कांग्रेस के साथ काम नहीं करेंगे।उन्होंने कहा, 'कांग्रेस ऐसी पार्टी है, जो खुद सुधरती नहीं है। वो खुद तो डूब ही रही है हमको भी डूबा देगी।



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